BA Semester-2 - Economics-Macro Economics - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-2 - अर्थशास्त्र-समष्टि अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 - अर्थशास्त्र-समष्टि अर्थशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2714
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बीए सेमेस्टर-2 - अर्थशास्त्र-समष्टि अर्थशास्त्र

अध्याय - 1
समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय
(Introduction to Macro Economics)

 

समष्टि अर्थशास्त्र सम्पूर्ण अर्थ व्यवस्था के कार्य कारण से सम्बन्धित है। वस्तुत; यह आर्थिक विश्लेषण की वह शाखा है जो कि समस्त अर्थ व्यवस्था से संबंधित बढ़े योगों तथा औसतों का, उनके व्यवहार का तथा उनके पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन करती हैं। समष्टि अर्थशास्त्र का क्षेत्र अत्यंत व्यापक है। इसके अन्तर्गत, आय तथा रोजगार के निर्धारण, आर्थिक विकास के सिद्धांत, सामान्य कीमत स्तर, वितरण के समष्टिगत सिद्धान्त आदि का अध्ययन एवं विश्लेषण किया जाता है। संगठित अर्थशास्त्र उपरोक्त पहलुओं के विश्लेषण के लिए राजकोषीय नीति, मौद्रिक नीति, अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक नीति तथा आय नीति का प्रयोग उपकरण के रूप में करता है। इसके अन्तर्गत संगठितगत एवं व्यष्टिगत दोनों प्रकार की मात्राओं का निर्धारण भिन्न-भिन्न तरीकों से किया जाता है। यह संगठित इकाइयों को परिवर्तनशील बनाता है। यह आय के निर्धारण तथा उसमें होने वाले उच्चावचन के कारणों के कारणों पर प्रकाश डालने के साथ-साथ किसी विषय का विवेचन तुलनात्मक अर्थ में भी करता है। संगठित अर्थशास्त्र के अन्तर्गत किफायत के विरोधाभास की अवधारणा का प्रतिपादन सर्वप्रथम 1774 में वनड मैण्डेविली द्वारा किया गया था जिसे बाद में क्लासिकी अर्थशास्त्रियों का भी समर्थन प्राप्त हुआ और आगे चलकर यह केंजीय अर्थशास्त्र का अभिन्न अंग बन गया। कुछ लोग किफायत को एक सामाजिक गुण मानते हैं परन्तु अन्य लोगों की धारणा है कि यह एक बुराई है। इस संदर्भ में क्लासिकी मत का प्रतिपादन एडम स्मिथ तथा जी.वी. से ने किया जिनकी स्पष्ट धारणा थी कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी सीमित आय में से कुछ बचत अवश्य करनी चाहिए क्योंकि व्यक्ति का भविष्य अनिश्चित तथा जोखिमपूर्ण होता है जबकि केन्जीय मत बचत को सेवाओं की भोग में कमी का ज़िम्मेदार मानता है जिसके परिणाम स्वरूप कीमतों में गिरावट, लाभ में कमी तथा उत्पादन एवं रोजगार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा कुछ लोग किफायत को एक व्यक्तिगत गुण भी मानते हैं जिससे वृद्धि में बचत और धन की मात्रा में बढ़ोत्तरी होती है। प्रो. सैम्मूल्सन के विचार में बेरोजगारी की स्थिति में भविष्य किफायत तब तक व्याप्त रहेगी जब तक कि प्रत्येक व्यक्ति अपने आपको निर्धन न अनुभव करने लग जायें। कुछ भी हो प्रत्येक सिद्धान्त के अपने-अपने कुछ गुण हैं और कुछ दोष भी हैं परन्तु प्रत्येक विचार में व्यावहारिकता की मात्रा भी है। समष्टि अर्थशास्त्र, अर्थशास्त्र की एक महत्त्वपूर्ण शाखा है और अर्थशास्त्रीय अध्ययन को इसने एक नया आयाम दिया है फिर भी इसके अपने दोष भी हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • क्लासिकल शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग कार्लमार्क्स ने दिया था।
  • न्यूक्लासिकल शब्द का प्रतिपादन सर्वप्रथम प्रो. लुकास तथा सजेन्ट ने सन् 1970 में किया था। क्लासिकल अर्थशास्त्री अहस्तक्षेप नीति के समर्थक थे।
  • समष्टि शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम सन् 1933 में रैगार फ्रिश महोदय ने दिया।
  • समष्टि अर्थशास्त्र से तात्पर्य सम्पूर्ण आर्थिक प्रणाली का अध्ययन किये जाने से है।
  • इसमें आर्थिक समस्याओं का अध्ययन सामूहिक स्तर पर किया जाता है। जैसे सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था का कुल उपयोग, सामान्य कीमत स्तर एवं राष्ट्रीय आप, कुल रोजगार आदि।
  • समष्टि अर्थशास्त्र को रोजगार एवं आय का सिद्धान्त भी कहते हैं।
  • समष्टि अर्थशास्त्र राष्ट्रीय आय का महत्त्वपूर्ण अस्त्र है।
  • समष्टि अर्थशास्त्र सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के अभिकरण से संबंधित है।
  • प्रो. वेल्डिंग ने समष्टि अर्थशास्त्र को परिभाषित को परिभाषित करते हुए कहा है कि "समष्टि अर्थशास्त्र आर्थिक सिद्धान्त का वह भाग है जो अर्थशास्त्र के कुल औसत तथा कुल समूहों का अध्ययन करता है।
  • गार्डनर एक्ले के अनुसार समष्टि अर्थशास्त्र का संबंध अनेक प्रकार के तत्त्वों से हैं जैसे—किसी अर्थव्यवस्था का कुल उत्पादन उसके साधनों के जिस सीमा तक उपयोग हो रहा है तथा राष्ट्रीय आय का आकार एवं सामान्य कीमत स्तर।
  • प्रो. मार्शेल के अनुसार-समष्टि अर्थशास्त्र में हम जीवन के साधारण व्यवस्था का सामूहिक रूप से अध्ययन करते हैं।
  • समष्टि आर्थिक विश्लेषण यह बताता है कि राष्ट्रीय आय व रोजगार के स्तर का निर्धारण किस प्रकार होता है तथा राष्ट्रीय आय उत्पादन तथा रोजगार में उच्चावचन किन कारणों से होते हैं। समष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत उन समस्याओं का अध्ययन किया जाता है, जिसका संबंध विकास अर्थात् प्रति व्यक्ति वास्तविक आय में होने वाली वृद्धि से होता है।
  • समष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत मुद्रा स्फीति में कीमतों में होने वाली सामान्य वृद्धि तथा मुद्रा अवस्फीति से संबंधित समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।
  • समष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत अर्थव्यवस्था के वितरण से संबंधित सिद्धान्त का भी अध्ययन किया जाता है।
  • समष्टि अर्थशास्त्र के दोष भी हैं। जैसे संरचना की भ्रांति, मुद्रा परिमाण संबंधी, विरोधाभास आदि।
  • समष्टि अर्थशास्त्र का प्रयोग बिना सोच विचार के किये जाने पर इसके हानिकारक परिणाम हो सकते हैं।
  • समूहों के मापन में अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है। समूह का माप व्यष्टि इकाईयों के मात्र से ही सम्बन्धित है।
  • चूँकि समष्टि अर्थशास्त्र सूक्ष्म अर्थशास्त्र का योग मात्र है अतः समष्टि अर्थशास्त्र में आर्थिक के विश्लेषण की संरचना कठिन होती है। कम
  • समष्टि अर्थशास्त्र सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के उच्चावचन या आर्थिक मंदी अवसाद या आर्थिक लेजी की व्याख्या करता है।
  • समष्टि आर्थिक विरोधाभास की अवधारणा का प्रतिपादन प्रो. बोल्डिंग द्वारा किया गया।
  • प्रो. बोल्डिंग में समष्टि अर्थशास्त्र के कुछ बिन्दुओं पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं कि यद्यपि समष्टि अर्थव्यवस्था किसी भी अर्थव्यवस्था की मूलभूत समस्याओं के समाधान हेतु मील का पत्थर समष्टि होता है किन्तु समग्र आर्थिक का समष्टि विश्लेषण का आवश्यक है।
  • इनके अनुसार समष्टि आर्थिक विश्लेषण में भी कुछ कठिन समस्यायें हैं।
  • व्यक्तिगत एवं समष्टिगत अर्थशास्त्र एक दूसरे पर पारस्परिक रूप से निर्भर है। इनमें से कोई भी एक दूसरे के बिना अपूर्ण है
  • व्यष्टिगत अर्थशास्त्र के अन्तर्गत प्रयोग की जाने वाली अध्ययन सामग्री किसी न किसी रूप में समष्टि अर्थशास्त्र से प्रभावित होती है।
  • व्यष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत ही ब्याज की दर का सिद्धान्त आता है लेकिन यह ऐसे तत्त्वों से प्रभावित होता है जो प्रकृति के व्यष्ट अर्थशास्त्र से संबंधित होते हैं।
  • D x = (P.) एक स्थैतिक है।
  • स्थैतिक अर्थव्यवस्था को कालरहित अर्थव्यवस्था भी कहते हैं।
  • समष्टि स्थैतिकी विश्लेषण, स्थैतिकी संतुलन की व्याख्या करता है। प्रो. अल्फ्रेड मार्शल व्यष्टिपरकं अर्थशास्त्र से संबंधित है।
  • प्रीडमैन शिकागो स्कूल के अर्थशास्त्री थे।
  • जेम्स लुकानन ने लोक विकल्प सिद्धान्त का प्रतिपादन किया था।
  • बैंक दर मौद्रिक नीति का वह अस्त्र हे जो केन्द्रीय बैंक से नियंत्रित होता है।
  • तार्किक प्रत्याशा प्राक्कल्पना का प्रतिपादन जानमूथ ने किया था।
  • निर्धनता दुष्चक्र का प्रतिपादन रागनर नकर्स ने किया था।
  • सोलो ने अपने माडल को हैमोडन्डोमर माडल के विकल्प के रूप में विकसित किया।
  • कीन्स संरक्षण वाद का समर्थक था।
  • अध्यापक की सेवा एक मध्यवर्ती सेवा है।
  • अति उत्पादन और बेरोजगारी का प्रमुख कारण कुल माँग की गयी है।
  • सोशल एकाउन्ट विधि का प्रतिपादन रिचर्ड स्टोन ने किया था।
  • यदि विनियोग बढ़ रहा हो तो इसका अभिप्राय यह है कि निवेश पूँजीगत ह्रास से अधिक है।

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    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय (Introduction to Macro Economics)
  2. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  3. उत्तरमाला
  4. अध्याय - 2 राष्ट्रीय आय एवं सम्बन्धित समाहार (National Income and Related Aggregates)
  5. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  6. उत्तरमाला
  7. अध्याय - 3 राष्ट्रीय आय लेखांकन एवं कुछ आधारभूत अवधारणाएँ (National Income Accounting and Some Basic Concepts)
  8. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  9. उत्तरमाला
  10. अध्याय - 4 राष्ट्रीय आय मापन की विधियाँ (Methods of National Income Measurement)
  11. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 5 आय का चक्रीय प्रवाह (Circular Flow of Income)
  14. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  15. उत्तरमाला
  16. अध्याय - 6 हरित लेखांकन (Green Accounting)
  17. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  18. उत्तरमाला
  19. अध्याय - 7 रोजगार का प्रतिष्ठित सिद्धान्त (The Classical Theory of Employment)
  20. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  21. उत्तरमाला
  22. अध्याय - 8 कीन्स का रोजगार सिद्धान्त (Keynesian Theory of Employment)
  23. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 9 उपभोग फलन (Consumption Function)
  26. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  27. उत्तरमाला
  28. अध्याय - 10 विनियोग गुणक (Investment Multiplier)
  29. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  30. उत्तरमाला
  31. अध्याय - 11 निवेश एवं निवेश फलन(Investment and Investment Function)
  32. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  33. उत्तरमाला
  34. अध्याय - 12 बचत तथा निवेश साम्य (Saving and Investment Equilibrium)
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  36. उत्तरमाला
  37. अध्याय - 13 त्वरक सिद्धान्त (Principle of Accelerator)
  38. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  39. उत्तरमाला
  40. अध्याय - 14 ब्याज का प्रतिष्ठित, नव-प्रतिष्ठित एवं कीन्सीयन सिद्धान्त (Classical, Neo-classical and Keynesian Theories of Interest)
  41. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  42. उत्तरमाला
  43. अध्याय - 15 ब्याज का आधुनिक सिद्धान्त (IS-LM व्याख्या) Modern Theory of Interest (IS-LM Analysis )
  44. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  45. उत्तरमाला
  46. अध्याय - 16 मुद्रास्फीति की अवधारणा एवं सिद्धान्त (Concept and Theory of Inflation)
  47. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  48. उत्तरमाला
  49. अध्याय - 17 फिलिप वक्र (Philips Curve)
  50. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  51. उत्तरमाला

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